कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
|
3 पाठकों को प्रिय 278 पाठक हैं |
आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
१०६
आये जो उसके ज़ेरे-लब गुस्सा
आये जो उसके ज़ेरे-लब गुस्सा
सुर्ख हो कर करे ग़ज़ब गुस्सा
लोग आपे से आज बाहर हैं
कर रहे हैं यहाँ पे सब गु़स्सा
कह रही है शिकन ये माथे की
आने वाला है उसको अब ग़ुस्सा
एक लम्हे में कर ही देता है
बा-अदब को भी बे-अदब ग़ुस्सा
उसकी बातों का कोई ठीक नहीं
उसको आजाये जाने कब ग़ुस्सा
मान भी लीजिये अजी कहना
आप करिये न बे-सबब ग़ुस्सा
जब भी आता है अक़्ल खाता है
‘क़म्बरी’ क्यों करे तलब गुस्सा
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book