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कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580
आईएसबीएन :9781613015803

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१०६

आये जो उसके ज़ेरे-लब गुस्सा


आये जो उसके ज़ेरे-लब गुस्सा
सुर्ख हो कर करे ग़ज़ब गुस्सा

लोग आपे से आज बाहर हैं
कर रहे हैं यहाँ पे सब गु़स्सा

कह रही है शिकन ये माथे की
आने वाला है उसको अब ग़ुस्सा

एक लम्हे में कर ही देता है
बा-अदब को भी बे-अदब ग़ुस्सा

उसकी बातों का कोई ठीक नहीं
उसको आजाये जाने कब ग़ुस्सा

मान भी लीजिये अजी कहना
आप करिये न बे-सबब ग़ुस्सा

जब भी आता है अक़्ल खाता है
‘क़म्बरी’ क्यों करे तलब गुस्सा

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