कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
९१
तेरी पलकों पे जो ठहरा है आँसू
तेरी पलकों पे जो ठहरा है आँसू
समन्दर से भी वो गहरा है आँसू
कहा था घर से मत बाहर निकलना
मेरी सुनता नहीं बहरा है आँसू
ख़ुशी दिल में कोई आये तो कैसे
लगाये आँख पर पहरा है आँसू
समन्दर हो के भी प्यासी हैं आँखें
समन्दर हो के भी सहरा है आँसू
अरे सुन ‘क़म्बरी’ दिल के महल पर
कोई परचम नहीं फहरा है आँसू
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