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कविता संग्रह >> कह देना

कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580
आईएसबीएन :9781613015803

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९०

ज़िन्दगी के मज़े उड़ाने दो


ज़िन्दगी के मज़े उड़ाने दो
दूर हट जाओ हवा आने दो

मैं ग़मों की शराब पीता हूँ
मुझको साग़र में डूब जाने दो

एक आने का, एक जाने का
मुझको करना पड़े बहाने दो

बल्ब जलते हैं अब चराग़ कहाँ
आ रही है हवा तो आने दो

एक उस दिल में, एक इस दिल में
हैं मोहब्बत के कारख़ाने दो

एक तेरी है, एक मेरी है
इस कहानी में हैं फ़साने दो

ईद-होली मनाओ तुम, हमको
जश्ने-इन्सानियत मनाने दो

बाद में तोहमतें लगा लेना
पहले चिड़िया हमें फसाने दो

मीर-ग़ालिब की गा चुकें ग़ज़लें
गीत गोविन्द हमको गाने दो

घर बसाने की चाहतें लेकर
घर से भागे हैं फिर दिवाने दो

फूल हँसने लगेंगे आँगन में
पहले घर में बहू तो आने दो

सारे कर्तव्य कर चुके पूरे
मुझको अब तो यहाँ से जाने दो

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