कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
११
दिन भर याद बहुत आता है
दिन भर याद बहुत आता है, शाम को अक्सर भूल गया
दफ़्तर से जब मैं घर लौटा अपना ही घर भूल गया
जिसको राह दिखाना थी वो मील का पत्थर भूल गया
मंजिल तक अब कैसे पहुँचे रस्ता रहबर भूल गया
रेत भी प्यासी, खेत भी प्यासे, होंठ भी प्यासे देखे जब
दरिया प्यासों तक जा पहुँचा और समन्दर भूल गया
घूम गया चेहरा आँखों में, प्यास जब उसकी याद आई
तश्नालब ने जाम उठाया पीना उठाकर भूल गया
उसके ख़त आते रहते थे, उसने भेजा भी होगा
अबके शायद मेरे घर की राह कबूतर भूल गया
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