कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
१२
खिल उठीं सरसों की कलियाँ
खिल उठीं सरसों की कलियाँ दिन सुहाने आ गये
आ गया फागुन कि हर बाली में दाने आ गये
फूल महुवे के झरे मौसम शराबी हो गया
आम के बाग़ों में खुशबू के ख़ज़ाने आ गये
आ गया फागुन मेरे कमरे के रौशनदान में
चन्द गौरय्यों के जोड़े घर बसाने आ गये
नाचती-गाती हुई निकलीं सड़क पर टोलियाँ
चन्द चेहरे खिड़कियों में मुस्कुराने आ गये
एकता सदभावना के रंग लेकर ‘क़म्बरी’
रंग की महफ़िल में लो होली मनाने आ गये
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