कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
|
3 पाठकों को प्रिय 278 पाठक हैं |
आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
१३
ख़याले यार मन में आ गया है
ख़याले यार मन में आ गया है
ख़लल पूजा-भजन में आ गया है
वो रहबर बन के हमको लूटता है
सलीक़ा राहज़न में आ गया है
जिसे खोटा समझता था ज़माना
वो सिक्का फिर चलन में आ गया है
महाभारत का होना तय समझिये
शकुनि संसद भवन में आ गया है
गुलो-बुलबुल ज़रा रहना सँभल कर
सितमगर फिर चमन में आ गया है
कुछ अपने शेर लेकर ‘क़म्बरी’ भी
तुम्हारी अंजुमन में आ गया है
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book