कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
१४
तू अगर कह दे तेरी राह से हट जाऊँगा
तू अगर कह दे तेरी राह से हट जाऊँगा
ज़िन्दगी के मैं किसी मोड़ से कट जाऊँगा
फ़ैल जाऊँ तो समन्दर को भी हैरत होगी
आप चाहें तो मैं क़तरे में सिमट जाऊँगा
चिटके आईने को तू दूर हटा ले मुझसे
मैं अगर सामने आऊँगा तो बंट जाऊँगा
सामने बस मेरे एक बार तू आजाये तो
ख़ाक़ बन कर तेरे क़दमों से लिपट जाऊँगा
‘क़म्बरी’ चाँद हूँ, दौलत हूँ न दरिया कोई
एक समन्दर हूँ न सोचो कभी घट जाऊँगा
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