कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
५१
किसी की ज़िन्दगी गर मैकशी में…
किसी की ज़िन्दगी गर मैकशी में डूब जायेगी
तो उसकी घर गृहस्ती मुफ़लिसी में डूब जायेगी
नशे की हो गयी आदी नई पीढ़ी तो क्या होगा
किरन उम्मीद की फिर तीरगी में डूब जायेगी
ज़माने के ख़ुदा या ना ख़ुदा कोशिश भले करलें
गुनहगारों की कश्ती है, नदी में डूब जायेगी
वो आयें या न आयें ख़ैरियत आ जाये बस उनकी
हमारे दिल की बेचैनी ख़ुशी में डूब जायेगी
कभी महकी हवा जब छेड़ती ग़ुज़रेगी शाखों को
ढलक कर फूल से शबनम कली में डूब जायेगी
अगर तुम बद-नज़र से दूसरों के घर में झाँकोगे
तुम्हारे घर की इज़्ज़त भी गली में डूब जायेगी
ख़ुदा-ए-हुस्न तेरा हम करेंगे इस तरह सजदा
ख़ुदाई भी हमारी बन्दगी में डूब जायेगी
भुला कर प्यास को अपनी, बुझा कर प्यास औरों की
नदी एक खिलखिलाती तश्नगी में डूब जायेगी
हमारा और उसका जब मिलन होगा तो यूँ होगा
के जैसे रौशनी एक रौशनी में डूब जायेगी
अदब पे चुटकुले जो पड़ गये भारी अदब वालों
तो एक दिन शायरी भी मसख़री में डूब जायेगी
यूँ ही कहता रहेगा ‘क़म्बरी’ अश्आर शिद्दत से
तो उसकी ज़िन्दगी भी शायरी में डूब जायेगी
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