कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
५३
हमारे घर में पत्थर आ रहे हैं
हमारे घर में पत्थर आ रहे हैं
न जाने आप क्यूँ घबरा रहे हैं
नहीं इतनी कठिन राहें हमारी
हमे ये राहबर बहका रहे हैं
यहाँ पत्थर की पूजा हो रही है
मगर इंसान ठोकर खा रहे हैं
ये दुनिया नासमझ समझी थी जिनको
वही दुनिया को अब समझा रहे हैं
बताओ वो भला कैसे उठेंगे
नज़र से जो गिराये जा रहे हैं
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