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कविता संग्रह >> कह देना

कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580
आईएसबीएन :9781613015803

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७४

इसमें तो नज़र आयेंगे हालात मिलन के


इसमें तो नज़र आयेंगे हालात मिलन के
ये आँसू नहीं है ये है जज़्बात मिलन के

ये आँसू ही अब रहने लगे साथ मिलन के
बिछड़ा है वो जो रहता था दिन-रात मिलन के

स्वागत में जो उठती थीं वो आँखें न मिलेगी
घर जा के करेंगे जो मुलाक़ात मिलन के

ख़ामोश अगर होंगे सवालों पे कभी लब
ये आँसू हमें देंगे जवाबात मिलन के

सुनते हैं के बिछड़ों को मिला देती है क़ुदरत
अब देखों कहाँ बनते हैं हालात मिलन के

ये आँसू जो एहसास की आँखों से पढ़ेगा
उन सब को रुला देंगे ख़्यालात मिलन के

सारे अश्आर ‘क़म्बरी’ हैं दर्द में भीगे
आँसू की हो रही है वो बरसात मिलन के
(हरिलाल मिलन जी की पत्नी की स्मृति में ग़ज़ल संग्रह ‘ये आँसू’ की भूमिका के लिये)

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