कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
45. मिलूँ किससे मैं ये सोचूँ
मिलूँ किससे मैं ये सोचूँ
लड़के से मिलकर तो देखूँ
मेरी समस्या का हल निकाले
बात तो उससे करके देखूँ
नही-नहीं कहीं ऐसा हो
खुद ही वो दहेज माँगता हो
ठीक होगा बात करती हूँ,
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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