कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
67. चार साल में चार-चार
चार साल में चार-चार
पुत्रों को मैंने जन्म दिया
इन चारों सालों में मैंने
सास को अपनी खुश कर लिया
ननद की शादी करके हमने
भेज दिया ससुराल को सबने
खुशी मिली, जो चाहती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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