कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
79. चारों बेटों को मैंने
चारों बेटों को मैंने
रखा नौ-नौ महीने गर्भ में
गीले में पड़ी रहती सदा मैं
सूखा हमेशा दिया इन्हें
आज मैं बूढ़ी हो चुकी हूँ
पाला इनको, भारी मैं हूँ
पीछे चलती सोचती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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