कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
82. पास के गाँव का एक आदमी
पास के गाँव का एक आदमी
कर खेतों में काम शाम को
आ रहा था उसी रास्ते
जब उसने देखा मुझको तो
माँ कहकर बाहर निकाला
अपना कंबल मुझपर डाला
मैं कुछ राहत पाती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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