कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
90. देखकर हाँडी दोनों की
देखकर हाँडी दोनों की
बस खुशी का पार न था
मुझे चूमकर दोनों बोले
इसमें भरा हुआ हैं सोना
मुझे गोद में ले झूमे
कभी बहू, कभी बेटा चूमें।
मैं मन में हर्षाती हूँ।
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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