कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
97. जब उन चारों ने देखा
जब उन चारों ने देखा
अपनी माँ का मुझमें चेहरा
बड़ा बेटा यूँ कहने लगा
देखो भाईयों, ये तो है अपनी माँ
तभी बीच में कूद पड़ा
मेरा पाँचवां मुबोला बेटा
एक बार फिर बँटने वाली हूँ।
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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