कविता संग्रह >> यादें यादेंनवलपाल प्रभाकर
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बचपन की यादें आती हैं चली जाती हैं पर इस कोरे दिल पर अमिट छाप छोड़ जाती हैं।
मेरे गीत
मेरे गीत तुम्हारे पास
स्वर मांगने आयेंगे।
कंठ पर तुम्हारे ये गीत
खेलेंगे और लहरायेंगे।
माना मेरे गीतों में
सुर है ना ताल है,
तभी तो मेरे गीतों का
हाल हुआ बेहाल है
मगर अब ये गीत मेरे
फिर से मुस्कुरायेगें।
मेरे गीत तुम्हारे पास
स्वर मांगने आयेंगे।
गीतों में मेरे कुछ नहीं
ना शब्द है, ना स्वर कोई
ऐसे गीतों को कंठ पर
उतार लो तुम यदि
मेरे गीत फिर से ये
सबके होंठों पर आयेंगे।
मेरे गीत तुम्हारे पास
स्वर मांगने आयेंगे।
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