व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> हौसला हौसलामधुकांत
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नि:शक्त जीवन पर लघुकथाएं
प्रेरणा
'माँ मैं स्कूल में नहीं जाना चाहता, वहाँ सारे बच्चे मुझे लंगड़-लंगड़
कहकर चिढ़ाते रहते हैं' बस्ता गिराते हुए दीनू ने घोषणा कर दी।
'तुम अपने गुरु जी से शिकायत क्यों नहीं करते' माँ ने प्यार से कहा। 'गुरु जी को कई बार कहा पर वो भी अब अनसुना कर देते हैं।' 'बेटे एक बात समझ ले कमजोरी एक अभिशाप है, प्रत्येक अपंग अपने अंदर गुण पैदा करके इस शाप से मुक्त हो सकता है। जानते हो अमेरिका का छब्बिसवां राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट तुम्हारी तरह पोलियो ग्रस्त था।'
'तो क्या मैं भी बड़ा आदमी बन सकता हूँ- दीनू के चेहरे पर चमक आ गयी।
'जरूर बन सकता है, बस तू अपने काम से काम रख' समझाते हुए माँ के चेहरे पर संतोष उतर आया।
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