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व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> हौसला

हौसला

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :134
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9698
आईएसबीएन :9781613016015

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नि:शक्त जीवन पर लघुकथाएं

समाज सेवा


जिले में विकलांग लोगों का कैम्प लगा था। विकंलाग दीनू समाज सेवी निरंजन के साथ कैम्प में ह्वील-चेयर लेने आया था।

मन्त्री जी अपने लाव-लश्कर के साथ मंच पर पधारे तो सबने खड़े होकर अभिवादन किया। मंच से बारबार इसी घोषणा को दोहराया जा रहा था कि आज विकलांग भाई-बहनों को जो उपकरण बांटे जाएंगे उनको खरीदने के लिए मन्त्री जी ने पांच लाख रुपये अपने बजट से प्रदान किए हैं। आज उन्हीं उपकरणों का वितरण मन्त्री जी अपने हाथों से करेंगे।

दीनू निरजंन से बोला-भाई साहब अपने मन्त्री जी तो बड़े दानवीर और दयालु हैं।

'दीनू तुम बहुत भोले हो। मन्त्री जी जो पैसा खर्च कर रहे हैं वह जनता का है। टैक्स लगाकर जनता से वसूल कर लेते हैं। उसमें कुछ अपने लिए कुछ अपने चमचों के लिए रखकर बाकी समाज सेवा में खर्च कर देते हैं। दीनू के नाम की घोषणा हुई तो मन्त्री जी ने ट्राई साईकिल देते हुए उसके साथ फोटो खिंचवाई। फोटो खिंचवाते हुए दीनू के चेहरे पर उपजी श्रद्धा और सम्मान गायब हो चुका था।


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