कहानी संग्रह >> प्रेमचन्द की कहानियाँ 12 प्रेमचन्द की कहानियाँ 12प्रेमचंद
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प्रेमचन्द की सदाबहार कहानियाँ का बारहवाँ भाग
सातवें दिन उसका भाई आया और पार्वती मायके चली। उसने सुरेन्द्र से हर तीसरे दिन पत्र भेजने का आश्वासन लिया। उनके सामने खड़ी घंटों रोती रही, ऐसा मालूम होता था कि बिछुड़ने के दुःख से उसका कलेजा फटा जा रहा है। लेकिन घर से निकलते ही दिखावे की इच्छा उसके मन पर छा गई। वह गाड़ी के एक जनाने डिब्बे में आकर बैठी, जिसमें अधिकांश महिलाएँ निम्न वर्ग की थीं। उन्होंने पार्वती को आतंकित दृष्टि से देखा और इधर-उधर सिमट गईं। पार्वती खिड़की के सामने जाकर ऐसे बैठी मानो इतनी आवभगत उसका जन्मसिद्ध अधिकार हो। उसे गाड़ी में भले खानदान की केवल एक ही महिला दिखाई दी। उसका चेहरा गम्भीर था। वह एक साफ साड़ी पहने हुए थी, पैरों में सलीपर थे, हाथों में चूड़ियाँ, लेकिन शरीर पर गहने के नाम पर एक तार तक न था। वह निम्न वर्ग की कई महिलाओं के बीच हाथ-पाँव सिकोड़े बैठी थी। मन ही मन पार्वती ने कहा- निस्सन्देह सुन्दर महिला है, लेकिन सम्मान कहाँ। कोई बात भी तो नहीं पूछता, एक कोने में दबी बैठी है। शरीर पर चार गहने होते तो यही सब ओछी महिलाएँ इसका सम्मान करतीं।
नीचे फर्श पर पार्वती के निकट ही एक गरीब महिला बैठी हुई थी। उसकी गोद में एक बच्चा था, जो रह-रहकर इतने जोर से खाँसता और चीख मारता कि पार्वती मन ही मन झुँझलाकर रह जाती। जब उससे रहा न गया तो उसने उस महिला से कहा,’तुम दूसरी पटरी पर जा बैठो। इस लड़के के खाँसने से मुझे नींद नहीं आ रही है।’ गरीब महिला ने पार्वती की ओर आश्चर्य से देखा और धीरे से सरक गई।
रात आधी से अधिक बीत गई थी। खिड़कियों से ठंडी हवा आ रही थी। गरीब महिला ने खिड़कियाँ बंद करनी चाहीं तो पार्वती ने आदेशात्मक स्वर में कहा,’नहीं, रहने दो। मुझे गर्मी लग रही है।’ धीरे-धीरे बच्चे की खाँसी बढ़ने लगी। कुछ देर तक तो वह चिल्लाता रहा, फिर उसका गला पड़ गया। उसने दूध पीना छोड़ दिया। सामने बैठी सीधी-सादी महिला कुछ देर तक तो बच्चे को देखती रही, फिर उसने उस गरीब महिला के पास आकर बच्चे को गोद में ले लिया। बच्चे की हालत खराब थी, सीने पर बलगम जमा हुआ था, लगता था कि निमोनिया की शुरुआत है। उसने फौरन अपना बक्स खोलकर उसमें से एक दवा निकाली और हवा से बचाकर बच्चे के सीने पर हल्के हाथ से मलने लगी। फिर दूसरी शीशी से एक चम्मच दवा निकालकर बच्चे को पिलाई। गाड़ी की सब महिलाएँ आकर बच्चे के निकट खड़ी हो गईं। निरन्तर एक घंटा तेल मालिश करने के बाद उस भली महिला ने अपने बक्से से एक फलालैन का टुकड़ा निकालकर बच्चे के सीने पर बाँध दिया। बच्चा सो गया।
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