कहानी संग्रह >> प्रेमचन्द की कहानियाँ 19 प्रेमचन्द की कहानियाँ 19प्रेमचंद
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प्रेमचन्द की सदाबहार कहानियाँ का उन्नीसवाँ भाग
पंडित जी ने कुछ सिर खुजाकर, खाँसकर, पहलू बदलकर और सिर झुका कर फ़र्माया- ''जी, यहाँ कुछ स्त्रियों की शिकायतें लाहक हो गई थीं, मगर अब तो आपके फ़ैज़ो-करम से तबीयत ठीक रास्ते पर है। फ़िलहाल लेडी डाँक्टर का इलाज हो रहा है। आप जानते हैं, यह अँगरेजी तहज़ीब का दौर है। अँगरेजी इलाज से लोगों को ज्यादा आराम हो जाता है और मरीज को उस हकीम या डाँक्टर से सेहत होती है, जिस पर उसे विश्वास हो। इसी वजह से जनाब को तकलीफ़ नहीं दी।''
हकीम साहब- ''जी हाँ, आप बजा फ़र्माते हैं। कौन-सी लेडी डाँक्टर का इलाज ले रहा है?''
पंडितजी ने फिर सिर खुजलाकर और इधर-उधर ताककर कहा- ''उन्हीं मिस बोगन का।''
श्यामसरूप को इस मौके पर सारी कानूनी क़ाबलियत सर्फ़ करनी पड़ी, मगर आज वह किसी मनहूस आदमी का मुँह देखकर उठे थे। सूरते-हाल बजाए मुआफ़िक़ होने के और भी मुखालिफ़ होती जाती थी। क्योंकि दौराने-तक़रीर ही में कल्लू चौधरी, हरदास भर और जुग्गा धोबी आते हुए दिखाई दिए और उनके साथ मिस बोगन घोड़े पर सवार तशरीफ़ ला रही थीं। अब तो पंडित जी के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं, रंग फ़क्र हो गया। मिस बोगन को दिल में हज़ारों दुर्वचन सुनाईं कि यह शैतान की खाला इस वक्त कहाँ से फट पड़ी मगर झल्लाने का मौक़ा न था। फ़ौरन कुर्सी से उठ खड़े हुए। मिस बोगन से हाथ मिलाया और उसे बिला कुछ पूछने का मौका दिए हुए हाथ पकड़कर जनाना बैठक में ले गए और कुर्सी पर बैठा दिया। तत्पश्चात कोलेसरी से जाकर कहा- ''इस वक्त अजीव हालत में जान फँसी है। मैंने तो तुम्हारी बीमारी का बहाना किया कि किसी तरह इन आदमियों से पीछा छूटे, मगर उन्होंने आज हकीम नादिरअली खाँ और मिस बोगन को लाकर सिर पर सवार कर दिया। मिस साहेबा को बैठक में छोड़ आया हूँ। बताओ, क्या करूँ? ''
कोलेसरी- ''तो मैं बीमार हो जाऊँ, क्यों?''
पंडित जी- ''हँसकर तुम्हारे दुश्मन बीमार हों।''
कोलेसरी- ''दुश्मनों के बीमार होने से इस वक्त काम न चलेगा। तुम जाकर मिस बोगन को लाओ। मैं लिहाफ़ ओढ़ कर लेटी जाती हूँ।''
पंडित जी मिस बोगन को लाने के लिए बाहर निकले। कोलेसरी ने सिर से पैर तक लिहाफ़ ओढ़ लिया और झूठ-मूठ कराहने लगी। मिस बोगने ने थर्मामीटर लगाया, जबान देखी और मुँह बनाकर बोली- ''बीमारी जड़ पकड़ गई है। हिस्टीरिया है, बुखार बाहर नहीं है, मगर कलेजे पर है। क्यूँ तुम्हारे सर में दर्द है ना?''
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