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प्रेमचन्द की कहानियाँ 37

प्रेमचंद

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9798
आईएसबीएन :9781613015353

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प्रेमचन्द की सदाबहार कहानियाँ का सैंतीसवाँ भाग


नीचे से एक आदमी उत्तर देता है, ‘हम यह अत्याचार सहन नहीं कर सकते। इंदिरा हमारी तबाही का कारण है, वह हमारी रानी नहीं बन सकती।’

ज्ञान सिंह इंदिरा के उन उपकारों का वर्णन करता है जो उसने देश पर किए हैं, लेकिन नीचे से वही उत्तर आता है, ‘इंदिरा हमारी तबाही का कारण है, वह हमारी रानी नहीं बन सकती’, मानो किसी ग्रामोफोन की आवाज हो।

तब ज्ञान सिंह वह राजाज्ञा निकालकर पढ़नी प्रारम्भ करता है जिस पर उसने अभी-अभी हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन विद्रोहियों पर उसका भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता। फिर वही रटन लगाई जाती है, ‘इंदिरा हमारी रानी नहीं बन सकती, वह हमारी तबाही का कारण है।’ इसके साथ ही विद्रोही लोग सीढ़ियों से परकोटे पर चढ़ने की कोशिश करते हैं। मुख्य द्वार बन्द कर दिया जाता है।

अब ज्ञान सिंह कुपित होकर धमकियाँ देता है लेकिन चेतावनी की भाँति उसकी धमकियाँ भी भीड़ पर प्रभाव नहीं डालतीं। वे परकोटे पर चढ़ने की निरन्तर कोशिश करते हैं।

ज्ञान सिंह आवेश में आकर खतरे के घंटे के पास जाता है और उसे जोर से बजाता है। सेना के सिपाही सुनते तो हैं लेकिन निकलते नहीं। वह पुनः घंटा बजाता है। सिपाही तैयार होते हैं और शीघ्रता से हथियार इकट्ठे करने लगते हैं। तीसरा घंटा बजता है, पूरी सेना निकल पड़ती है। पद्मा उसी समय आकर उन्हें बहकाती है, ‘नादानो! क्यों अपने पाँवों पर स्वयं कुल्हाड़ी मारते हो। क्या अभी तक तुम्हारी आँखें नहीं खुलीं? तुम्हारे कितने ही भाई निकाल दिए गए और आज वे दर-दर की ठोकरें खाते फिरते हैं। बहुत जल्द तुम लोगों की बारी भी आई जाती है। यदि यही दिन-रात हैं तो दो-चार महीनों में सबके सब निकाल दिए जाओगे। ये विद्रोही कौन हैं? ये तुम्हारे ही भाई हैं जिन्हें ज्ञान सिंह की नयी बिनबियाही रानी इंदिरा ने निकाल दिया है। एक बाजारू वेश्या तुम पर इस तरह राज कर रही है, क्या तुम लोग इसे सहन कर सकते हो?’

इस समय इंदिरा के पास आकर पद्मा उसे मित्रवत् सलाह देती है, ‘भाग जाओ इंदिरा, अन्यथा तुम्हारी जान खतरे में है।’ इंदिरा इस अवसर को अच्छा समझती है और पद्मा के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करती है। पद्मा उसे एक गुप्त द्वार से ले जाती है जो शहर के बाहर एक मंदिर में खुलता है। वह सुरंग ऐसे ही कठिन अवसर के लिए बनाई गई है। पद्मा ने पहले ही हरिहर को बुला लिया है। उसके साथ दो घोड़े हैं। चारों ओर अंधेरा है।

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