कहानी संग्रह >> प्रेमचन्द की कहानियाँ 38 प्रेमचन्द की कहानियाँ 38प्रेमचंद
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प्रेमचन्द की सदाबहार कहानियाँ का अड़तीसवाँ भाग
नईम- बेशक। बिला आदाब के भी कोई खत होता है, और वह भी मुहब्बत का? माशूक के लिए आदाब लिखने में फकीरों की तरह दुआएँ देनी चाहिए। आप लिख सकते हैं- God give you everlasting grace and beauty, या May you remain happy in love and lovely.
चक्रधर- कागज पर लिख दो।
गिरिधर ने एक पत्र के टुकड़े पर कई वाक्य लिख दिये। जब भोजन करके लौटे तो चक्रधर ने अपने किवाड़ बंद कर लिये, और खूब बना-बना कर पत्र लिखा। अक्षर बिगड़-बिगड़ जाते थे, इसलिए कई बार लिखना पड़ा। कहीं पिछले पहर जाकर पत्र समाप्त हुआ। तब आपने उसे इत्र में बसाया, दूसरे दिन पुस्तकालय में निर्दिष्ट स्थान पर रख दिया। यार लोग तो ताक में थे ही, पत्र उड़ा लाये और खूब मजे ले-लेकर पढ़ा।
तीन दिन के बाद चक्रधर को फिर एक पत्र मिला। लिखा-
'माई डियर चक्रधर,
तुम्हारी प्रेम-पत्री मिली। बार-बार पढ़ा। आँखों से लगाया; चुम्बन लिया। कितनी मनोहर महक थी। ईश्वर से यही प्रार्थना है कि हमारा प्रेम भी ऐसा ही सुरभिसिंचित रहे। आपको शिकायत है कि मैं आपसे बातें क्यों नहीं करती। प्रिय, प्रेम बातों से नहीं, हृदय से होता है। जब मैं तुम्हारी ओर से मुँह फेर लेती हूँ, तो मेरे दिल पर क्या गुजरती है, यह मैं ही जानती हूँ। एक दबी हुई ज्वाला है, जो अंदर ही अंदर मुझे भस्म कर रही है। आपको मालूम नहीं, कितनी आँखें हमारी ओर एकटक ताकती रहती हैं। जरा भी संदेह हुआ, और चिर-वियोग की विपत्ति हमारे सिर पड़ी। इसीलिए हमें बहुत ही सावधान रहना चाहिए। तुमसे एक याचना करती हूँ, क्षमा करना। मैं तुम्हें अँग्रेजी पोशाक में देखने को बहुत उत्कंठित हो रही हूँ। यों तो तुम चाहे जो वस्त्र धारण करो, मेरी आँखों के तारे हो - विशेषकर तुम्हारा सादा कुरता मुझे बहुत ही सुन्दर मालूम होता है - फिर भी, बाल्यावस्था से जिन वस्त्रों को देखते चली आयी हूँ, उन पर विशेष अनुराग होना स्वाभाविक है। मुझे आशा है, तुम निराश न करोगे। मैंने तुम्हारे लिए एक वास्कट बनायी है। उसे मेरे प्रेम का तुच्छ उपहार समझकर स्वीकार करो।
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