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प्रेमचन्द की कहानियाँ 40

प्रेमचंद

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :166
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9801
आईएसबीएन :9781613015384

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प्रेमचन्द की सदाबहार कहानियाँ का चालीसवाँ भाग


15- मैं अकेला था, दफ्तर जाते वक्त मकान में ताला लगाना पड़ता था इसलिए शादी कर ली।

16- मेरी मां ने कसम दिलाई थी इसलिए शादी की।

17- मेरी पहली बीवी की औलाद को परवरिश की जरूरत थी, इसलिए शादी की।

18- मेरी मां का ख्याल था कि वह जल्द मरने वाली है और मेरी शादी अपने ही सामने कर देना चाहती थी, इसलिए मेरी शादी हो गई। लेकिन शादी को दस साल हो रहे हैं भगवान की दया से मां के आशीष की छाया अभी तक कायम है।

19- तलाक देने को जी चाहता था इसलिए शादी की।

20- मैं मरीज रहता हूं और कोई तीमारदार नहीं है इसलिए मैंने शादी कर ली।

21- केवल संयोग से मेरा विवाह हो गया।

22- जिस साल मेरी शादी हुई उस साल बहुत बड़ी सहालग थी। सबकी शादी होती थी, मेरी भी हो गई।

23- बिला शादी के कोई अपना हाल पूछने वाला न था।

24- मैंने शादी नहीं की है, एक आफत मोल ले ली है।

25- पैसे वाले चचा की अवज्ञा न कर सका।

26- मैं बुड्ढा होने लगा था, अगर अब न करता तो कब करता।

27- लोक हित के ख्याल से शादी की।

28- पड़ोसी बुरा समझते थे इसलिए निकाह कर लिया।

29- डाक्टरों ने शादी के लिए मजबूर किया।

30- मेरी कविताओं को कोई दाद न देता था।

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