कहानी संग्रह >> जयशंकर प्रसाद की कहानियां जयशंकर प्रसाद की कहानियांजयशंकर प्रसाद
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जयशंकर प्रसाद की सम्पूर्ण कहानियाँ
कौन है यहाँ? पथिक को
आश्रय चाहिए।
मधूलिका
ने डंठलों का कपाट खोल दिया। बिजली चमक उठी। उसने देखा, एक पुरुष घोड़े की
डोर पकड़े खड़ा है। सहसा वह चिल्ला उठी- राजकुमार!
मधूलिका? - आश्चर्य से
युवक ने कहा।
एक क्षण के लिए सन्नाटा
छा गया। मधूलिका अपनी कल्पना को सहसा प्रत्यक्ष
देखकर चकित हो गई -इतने दिनों के बाद आज फिर!
अरुण ने कहा-कितना समझाया
मैंने-परन्तु.....
मधूलिका अपनी दयनीय
अवस्था पर संकेत करने देना नहीं चाहती थी। उसने कहा-
और आज आपकी यह क्या दशा है?
सिर झुकाकर अरुण ने कहा-
मैं मगध का विद्रोही निर्वासित कोशल में जीविका
खोजने आया हूँ।
मधूलिका
उस अन्धकार में हँस पड़ी- मगध का विद्रोही राजकुमार का स्वागत करे एक
अनाथिनी कृषक-बालिका, यह भी एक विडम्बना है, तो भी मैं स्वागत के लिए
प्रस्तुत हूँ।
शीतकाल की निस्तब्ध रजनी,
कुहरे से धुली हुई
चाँदनी, हाड़ कँपा देनेवाला समीर, तो भी अरुण और मधूलिका दोनों पहाड़ी
गह्वर के द्वार पर वट-वृक्ष के नीचे बैठे हुए बातें कर रहे हैं। मधूलिका
की वाणी में उत्साह था, किन्तु अरुण जैसे अत्यन्त सावधान होकर बोलता।
मधूलिका ने पूछा- जब तुम
इतनी विपन्न अवस्था में हो, तो फिर इतने सैनिकों
को साथ रखने की क्या आवश्यकता है?
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