कहानी संग्रह >> जयशंकर प्रसाद की कहानियां जयशंकर प्रसाद की कहानियांजयशंकर प्रसाद
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जयशंकर प्रसाद की सम्पूर्ण कहानियाँ
किशोर सिंह स्वाभाविक
दयालु थे और
उनकी प्रजा उन्हें पिता के समान मानती थी, और उनका उस प्रान्त में भी बड़ा
सम्मान था। वह बहुत बड़े इलाकेदार होने के कारण छोटे-से राजा समझे जाते
थे। उनका प्रेम सब पर बराबर था। किन्तु विल्फर्ड और सरला एलिस को भी वह
बहुत चाहने लगे, क्योंकि प्रियतमा सुकुमारी की उन लोगों ने प्राण-रक्षा की
थी।
किशोर सिंह भीतर आये।
एलिस को देखकर कहा- डरने की कोई बात
नहीं है। यह मेरी प्रजा थी, समीप के सुन्दरपुर गाँव में सब रहते हैं।
उन्हें सिपाहियों ने लूट लिया है। उनका बंदोबस्त कर दिया गया है। अब
उन्हें कोई तकलीफ नहीं।
एलिस ने लम्बी साँस लेकर
आँख खोल दी, और कहा- क्या वे सब गये?
सुकुमारी- घबराओ मत, हम
लोगों के रहते तुम्हारा कोई अनिष्ट नहीं हो सकता।
विल्फर्ड- क्या सिपाही
रियासतों को लूट रहे हैं?
किशोर सिंह- हाँ, पर अब
कोई डर नहीं है, वे लूटते हुए इधर से निकल गये।
विल्फर्ड- अब हमको कुछ डर
नहीं है।
किशोर सिंह- आपने क्या
सोचा?
विल्फर्ड- अब ये सब अपने
भाइयों को लूटते हैं, तो शीघ्र ही अपने अत्याचार
का फल पावेंगे और इनका किया कुछ न होगा।
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