कहानी संग्रह >> जयशंकर प्रसाद की कहानियां जयशंकर प्रसाद की कहानियांजयशंकर प्रसाद
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जयशंकर प्रसाद की सम्पूर्ण कहानियाँ
किशोर सिंह ने गम्भीर
होकर कहा- ठीक है।
एलिस ने कहा- मैं आज आप
लोगों के संग भोजन करूँगी।
किशोर सिंह और सुकुमारी
एक दूसरे का मुख देखने लगे। फिर किशोर सिंह ने
कहा- बहुत अच्छा।
साफ
दालान में दो कम्बल अलग-अलग दूरी पर बिछा दिये गये हैं। एक पर किशोर सिंह
बैठे थे और दूसरे पर विल्फर्ड और एलिस; पर एलिस की दृष्टि बार-बार
सुकुमारी को खोज रही थी और वह बार-बार यही सोच रही थी कि किशोर सिंह के
साथ सुकुमारी अभी नहीं बैठी।
थोड़ी देर में भोजन आया,
पर खानसामा
नहीं। स्वयं सुकुमारी एक थाल लिये हैं और तीन-चार औरतों के हाथ में भी
खाद्य और पेय वस्तुएँ हैं। किशोर सिंह के इशारा करने पर सुकुमारी ने वह
थाल एलिस के सामने रखा, और इसी तरह विल्फर्ड और किशोर सिंह को परस दिया
गया। पर किसी ने भोजन करना नहीं आरम्भ किया।
एलिस ने सुकुमारी से कहा-
आप क्या यहाँ भी न बैठेंगी? क्या यहाँ भी कुर्सी
है?
सुकुमारी- परसेगा कौन?
एलिस- खानसामा।
सुकुमारी- क्यों, क्या
मैं नहीं हूँ?
किशोर सिंह- जिद न
कीजिये, यह हमारे भोजन कर लेने पर भोजन करती हैं।
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