कहानी संग्रह >> जयशंकर प्रसाद की कहानियां जयशंकर प्रसाद की कहानियांजयशंकर प्रसाद
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जयशंकर प्रसाद की सम्पूर्ण कहानियाँ
चंदा- खोज किया था?
हीरा- हाँ, आदमी तो गया
है।
इतने में एक कोल दौड़ता
हुआ आया, और कहा राजा आ गये हैं और तहखाने में
बैठे हैं। एक तेंदुआ भी दिखाई दिया है।
हीरा
का मुख प्रसन्नता से चमकने लगा, और वह अपना कुल्हाड़ा सम्हालकर उस आगन्तुक
के साथ वहाँ पहुँचा, जहाँ शिकार का आयोजन हो चुका था।
राजा साहब
झंझरी में बंदूक की नाल रखे हुए ताक रहे हैं। एक ओर से बाजा बज उठा। एक
चीता भागता हुआ सामने से निकला। राजा साहब ने उस पर वार किया। गोली लगी,
पर चमड़े को छेदती हुई पार हो गई; इससे वह जानवर भागकर निकल गया। अब तो
राजा साहब बहुत ही दु:खित हुए। हीरा को बुलाकर कहा- क्यों जी, यह जानवर
नहीं मिलेगा?
उस वीर कोल ने कहा- क्यों
नहीं?
इतना कहकर
वह उसी ओर चला। झाड़ी में, जहाँ वह चीता घाव से व्याकुल बैठा था, वहाँ
पहुँचकर उसने देखना आरम्भ किया। क्रोध से भरा हुआ चीता उस कोल-युवक को
देखते ही झपटा। युवक असावधानी के कारण वार न कर सका, पर दोनों हाथों से उस
भयानक जन्तु की गर्दन को पकड़ लिया, और उसने भी इसके कंधे पर अपने दोनों
पंजों को जमा दिया।
दोनों में बल-प्रयोग होने
लगा। थोड़ी देर में दोनों जमीन पर लेट गये।
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