लोगों की राय

कहानी संग्रह >> कुमुदिनी

कुमुदिनी

नवल पाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9832
आईएसबीएन :9781613016046

Like this Hindi book 0

ये बाल-कथाएँ जीव-जन्तुओं और बालकों के भविष्य को नजर में रखते हुए लिखी गई है

बिल्ली ने किसी बकरी के कान खा लिए तो किसी भेड़ की टांग तोड़ दी। जब सुबह राजा ने सैनिकों को आज्ञा दी कि जाओ और काने कचरे को देखकर आओ। सैनिक तुरन्त गया और कुछ देर बाद ही आकर राजा से बोला- महाराज उस रिवाड़े में तो बकरियां कराह रही हैं। किसी का कान कटा है तो किसी की आंख फूटी हुई है, किसी की टांग टूटी हुई है। वह काना कचरा तो कोई जादूगर है जादूगर।

राजा ने फिर आदेश दिया कि काने कचरे को हाथियों के घर में बंद कर दो कोई हाथी तो इसे फोड़ेगा ही।

अब काने कचरे को उसमें रोका गया। अब काने कचरे ने कीड़ी से कहा कि चल कीड़ी अब तेरी बारी हैं तुम दिखाओ अपना कमाल। कीड़ी हाथियों के सूंडों में घुस गई और हाथियों को मार गिराया।

सुबह जब राजा ने सैनिक बुलवाकर काने कचरे का हाल पूछा तो सैनिकों ने बताया- महाराज क्षमा करें। हमारे सारे हाथी मर गए हैं परन्तु काने कचरे का बाल भी बांका नहीं हुआ। वह ज्यों का त्यों सही-सलामत है।

राजा ने फिर सोच-समझकर सैनिकों को आज्ञा दी कि जाओ और काने कचरे को कुड़ी में दबा दो। वह कुड़ी की गर्मी को सहन नहीं कर पाएगा और सुबह तक गल-सड़कर मर जाएगा।

सैनिकों ने राजा के कहने के अनुसार वैसा ही किया। कुड़ी में दबने के पश्चात् काने कचरे ने आँधी से कहा- आँधी बहन अब तुम अपना चमत्कार दिखाओ। आँधी ने उस कुड़ी को उड़ा दिया और काने कचरे को बाहर निकाला।

सुबह होने पर राजा को पता चला कि काना कचरा अभी तक जिन्दा है तो वह क्रोध से तिलमिला उठा। उसने सैनिकों को आदेश दिया कि उस काने कचरे को यहां लाओ मैं खुद उसे मारूँगा। मैं देखता हूँ वह कितना बड़ा जादूगर है?

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book