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हिंदी के व्याकरण को अधिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक
संबंध बोधक
निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित वाक्यांश देखिए:
रहीम सलमा के साथ अपने घर जाएगा।
आओ, आज तुम्हें सम्राट अशोक के बाबत पढ़ाएँ।
राम घर के बाहर है। धन के बिना किसी का काम नहीं चलता है।
मोहन की ओर क्या देखे जा रहे हो।
यहाँ एक रेखा से अंकित अंश अपने पूर्व स्थित दुहरी रेखा से अंकित
अंशो से संबद्ध (जुड़ा हुआ) है। इस कारण इन अंशों — के साथ, — के बाबत, — के
बाहर, — के बिना, — की ओर — को संबंध बोधक अव्यय कहते हैं। ये बाद में आए अंश
(संबंध बोधक अव्यय) पहले आई संज्ञा या सर्वनाम के बाद लगते हैं।
1. क्रियाविशेषणात्मक संबंध बोधक: क्रियाविशेषण के समान यह काल,
स्थान या दिशा का द्योतन करते हैं। उदाहरणार्थ: मोहन घर के बाहर सो
रहा है में के बाहर है, जबकि मोहन बाहर सो रहा है में बाहर
क्रियाविशेषण है, क्योंकि पहले में बाहर घर के साथ संबंद्ध है,
जबकि दूसरे में बाहर क्रिया कहाँ हो रही है इसका उत्तर है। इस
प्रकार के कुछ प्रमुख अव्यय हैं — से पहले, के बाद, के ऊपर, के भीतर, की ओर,
की तरफ आदि।
2. अन्य संबंधबोधक: ये भाँति-भाँति के अर्थ द्योतित करते हैं —
1. के कारण, की वजह से, के द्वारा/द्वारा, के मारे, के हाथ (से— ) ...
2. के लिए, के वास्ते, के खातिर, के हेतु, के निमित्त ...
3. से लेकर/तक, पर्यंत ...
4. के साथ, के संग
5. के बिना, के बगैर, के अतिरिक्त, के अलावा ...
6. की अपेक्षा, की तुलना में, के समान/सदृश, के जैसे ...
7. के बदले, की जगह में/पर ...
8. के विपरीत, के विरुद्ध, के प्रतिकूल, के अनुसार, के अनुकूल ...
9. के बाबत, के विषय में ...
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